15 अप्रैल 2008

अच्छा होता है ....






कभी
किसी मोड़ पर मुड़ जाना ही
अच्छा होता है,
शायद, कदमों से तुम्हारे
आकर मिल जाएँ कदम किसी और के|

कभी किसी पल का रुक जाना ही
अच्छा होता है,
शायद, इंतजार मे तुम्हारे
कोई खींच रहा हो उस पल को पास अपने|

कभी किसी सपने का टूट जाना ही
अच्छा होता है,
शायद, सपनों की दुनिया से बाहर
दिखने लग जाएँ तुम्हें कोई सच्ची तस्वीर|

कभी किसी का हाथ थाम लेना ही
अच्छा होता है,
शायद उन्ही हाथों मे
लिखी गई हो तुम्हारी भी तक़दीर|

5 टिप्‍पणियां:

mehek ने कहा…

bahut hi sundar menka ji,shayad kabhi kabhi aisa karna hi achha hota hai,first stanza,mud jana wala ek dam behtarin,aapke kavita ke hum kayal to hai hi:).sundar.

बेनामी ने कहा…

बहुत बढिया सोच, और बहुत अच्छी प्रस्तुति.

अमिताभ ने कहा…

मेनका जी , निःसंदेह आपकी ये रचना बेहद उम्दा है.कभी किसी सपने का टूट जाना ही
अच्छा होता है,
शायद, सपनों की दुनिया से बाहर
दिखने लग जाएँ तुम्हें कोई सच्ची तस्वीर " ......पंक्तिया निराशा के भावों को
लाती हैं .
सपने कभी न टूटे /सपने कभी न रूठे
सपनो की तासीर है थोडी मीठी /थोडी खट्टी
सपने चलते रहेंगे /हमें चलाते रहेंगे !!
आपकी रचनात्मकता कमाल है . इस विनम्र आग्रह के साथ कि सपनों से आपका नाता बना रहे बरक़रार रहे .....

मेनका ने कहा…

aap sabka dhanyabaad.Amitabhji nirasha se aasha ki taraf jana hi jindagi hai...meri najaron me.

बेनामी ने कहा…

कभी किसी का हाथ थाम लेना ही
अच्छा होता है,
शायद उन्ही हाथों मे
लिखी गई हो तुम्हारी भी तक़दीर!


Very true expression!