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चेहरे पर ना जाओ
हर चेहरा कुछ न कुछ बोलता है
कहीं मासूमियत
कहीं पर सुन्दरता
तो किसी पर मृदुल हसीं छलकती है
कभी कुछ छुपा ले
कभी कोई भी राज ना खोले
चेहरे पर ना जाओ
हर चेहरा कुछ न कुछ बोले
मन को ढापें ऐसे
जैसे खूब कोहरे से
सब कुछ छुप जाए
दिखे तो दिखे सब, जाने तो
लेकिन फिर भी ना जान पाये
चेहरे पर ना जाओ
हर चेहरा कुछ न कुछ बोले
कहते हैं, है मन का आईना
लेकिन जानो, आईना कभी भी सच्चाई नही है
देखो कभी ठग ले, दे कभी धोखे भी
ठोकर खाकर सम्भले तो ठीक
वरना राह मे कई और चेहरे मिल जायेंगे
चेहरे पर ना जाओ
हर चेहरा कुछ न कुछ बोले