28 मार्च 2008

क्या चाहिए इंसान को?


क्या चाहिए इंसान को?
जीने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान|
क्या चाहिए इंसान को?
दो वक्त की रोटी
या चाहिए
बर्गर, पिज्जा और सेंड-विच|
क्या चाहिए इंसान को?
तन ढकने को कपड़े
या चाहिए
पीटर-इंग्लेंड और पेंटा-लून|
क्या चाहिए इंसान को?
सर पर एक छत
या चाहिए
सोने की सलाखों से बना महल|
क्या चाहिए इंसान को?
सोना-चांदी,
हीरा-मोती,
पाँच सितारा होटल,
रूपैये-पैसों का ढ़ेर,
या अपने सपनों का महल?
क्या चाहिए इंसान को?
खुली हवा,
चैन की साँस,
मन की शांति,
और दाल-रोटी|
क्या चाहिए इंसान को?
मृग-त्रिसना,
छलावा,
झूठा अहम् ,
या चाहिए
वास्तविकता,
आत्म्स्वाभिमान,
और सच्चाई|
ये सच
जो बदल न सके कोई
आए है जगत मे
जाना भी है यहाँ से
ना कुछ ले कर आए हैं
ना कुछ लेकर जायेंगे
फिर इसे क्यों झूठ्लाये हैं?
पूछ अपने मन से ....
क्या चाहिए इंसान को .....
पाँच तत्व से बना यह शरीर
होगा एक दिन विलीन
फिर क्यों ना समझे?
क्या चाहिए इंसान को...?

27 मार्च 2008

बदरा


घटायें छाये घनघोर
चले हैं किस ओर?
कहते है, कारे-कारे बदरा
बरसेंगे आज, तुम्हारे अंगना
पंछी उड़-उड़ कर
लौट रहे है, अपने घर
ताके नयन राह तुम्हारी
बेचैनी सी लागे, घड़ी-घड़ी
चपला जब चमके बादल मे
तन थर्राये, मन ये कापे
सुन्दूरी नही, आज गोधुली
रह रह कर, चमके बिजुरी
दिन का उजाला हुआ कम
चढ़ने लगा, अब श्याम रंग
गिरने लगी बूंदे टिप-टिप
आँगन को भिगोती रिमझिम
मन मे कभी, उठे हजार लहरें
कभी कदमों की आहट सुनें
डरा जाए, बदरा ये कारे-कारे
लौट के जाओ तुम, उससे पहले|



24 मार्च 2008

प्रार्थना


हे प्रभु! तुम्हारे चरणों मे मेरी यही प्रार्थना हो .....
हर दुःख से बड़ी मेरी हिम्मत हो
हर डर से बड़ा मेरा साहस
हर इक्च्छा से बड़ा मेरा धैर्य
हर दर्द से बड़ी मेरी शक्ति
हर खुशी से बड़ी मेरी प्रार्थना
हर गर्व से बड़ी मेरी नम्रता
हर दिन से बड़ा मेरा एक पल हो
हर मौत से बड़ी मेरी जिंदगी
हर रात से बड़ी मेरी सुबह हो
हर अंधेरे से बड़ी मेरी ज्योति
हर राह से बड़े मेरे कदम हो
हर बाधा से बड़ी मेरी मंजिल|