27 दिसंबर 2009

बहुत दिनों के बाद...


बहुत दिनों बाद॥
आज फुर्सत मिली|
मन मे जागे कौतुहल
झटपट अपना ब्लॉग देखा
अरे ये क्या..मै थी इतने दिनों से गायब
दोस्तों माफ़ करना मुझे
मै एक बार फिर हूँ आई...
जो कागज पर लिखे अल्फाज है अभी
तुरंत उतर आयेंगे इस ब्लॉग पर
एक बार फिर सुरभि की खुशबू
तरोताजा कर देगी आपको|
क्योंकि बहुत दिनों के बाद...
आज फुरसत मिली|

11 मार्च 2009

भूलभुलैया राहें


भूलभुलैया राहें ये
भूलभुलैया
कभी पास बुलाए अपने
कभी दूर छिट्कादे
हरी भरी हरियाली इसमे
लबलबाते पानी के धारे
पास जाते जो मुरझाये
बन जाए काटें ही काटें
मन जो इससे मोहित होए
फिर हो ऐसे घायल
एक बार जो तीर लगे
घाव न भर पाये
एक बार जो चोट लगे
फिर न भ्रमित होना इससे
देख दूर से मन हर्षाये
पास जाकर चैन न खोवे
भूलभुलैया राहें ये
भूलभुलैया
'जिंदगी की राहों मे
एक राही तू
देख न भटकना राह अपनी
चलना मन को ठान अपनी'

23 जनवरी 2009

सोच बंदी है हमारी


ऐसा क्यों है
मै इतना कुछ महसूस करती हूँ
और कुछ भी नही बोल पाती हूँ
इतना कुछ सोचती हूँ
और जुबान खामोश रहते है
ऐसा क्यों है?

क्यों सबकी सुनती हूँ
कभी लगता है ये
सारी आवाजे मेरे भीतर फट जायेंगी
कंही मुझे बहरा तो बना देंगी
क्यों खामोशियों के साथ जीने की आदत सी हो गई है
ऐसा क्यों है?

कितना कुछ बोलना चाहती हूँ
लेकिन मन मसोश कर रह जाती हूँ
कितना कुछ बताना चाहती हूँ
लेकिन समझाऊ किसे
सारी सोच बताऊँ किसे
कौन मेरी समझेगा?
कौन मेरी सुनेगा?
ऐसा क्यों है?

जबाब मेरे पास भी नही
जबाब आपके पास भी नही होगा
हम सब ऐसे ही बन गए है
सिर्फ़ बोलना चाहते है आजादी के बोल
लेकिन मुह बंद है हमारे
समझाना और समझना चाहते हम
लेकिन सोच बंदी है हमारी

और हम सोचते है हम आजाद है
अगर ऐसा ही है,
तो मै पूछती हूँ सबसे
ऐसा क्यों है?

08 जनवरी 2009

चेहरा


चेहरे पर ना जाओ
हर चेहरा कुछ न कुछ बोलता है
कहीं मासूमियत
कहीं पर सुन्दरता
तो किसी पर मृदुल हसीं छलकती है
कभी कुछ छुपा ले
कभी कोई भी राज ना खोले
चेहरे पर ना जाओ
हर चेहरा कुछ न कुछ बोले
मन को ढापें ऐसे
जैसे खूब कोहरे से
सब कुछ छुप जाए
दिखे तो दिखे सब, जाने तो
लेकिन फिर भी ना जान पाये
चेहरे पर ना जाओ
हर चेहरा कुछ न कुछ बोले
कहते हैं, है मन का आईना
लेकिन जानो, आईना कभी भी सच्चाई नही है
देखो कभी ठग ले, दे कभी धोखे भी
ठोकर खाकर सम्भले तो ठीक
वरना राह मे कई और चेहरे मिल जायेंगे
चेहरे पर ना जाओ
हर चेहरा कुछ न कुछ बोले