11 मार्च 2009

भूलभुलैया राहें


भूलभुलैया राहें ये
भूलभुलैया
कभी पास बुलाए अपने
कभी दूर छिट्कादे
हरी भरी हरियाली इसमे
लबलबाते पानी के धारे
पास जाते जो मुरझाये
बन जाए काटें ही काटें
मन जो इससे मोहित होए
फिर हो ऐसे घायल
एक बार जो तीर लगे
घाव न भर पाये
एक बार जो चोट लगे
फिर न भ्रमित होना इससे
देख दूर से मन हर्षाये
पास जाकर चैन न खोवे
भूलभुलैया राहें ये
भूलभुलैया
'जिंदगी की राहों मे
एक राही तू
देख न भटकना राह अपनी
चलना मन को ठान अपनी'