रेत का महल
क्यों? बनाते है हम
अनजान सागर की लहरों से
क्या? जानते नही उसकी शक्ति
जिसका कोई आधार ही नही
इमारतें उसकी चढाते है क्यों?
नन्हे बच्चों सी गलती
बार-बार करते ही है क्यों?
हँसी-हँसी की खेल मे
लहरों पर घर क्यों टिकाते है?
रेत के महल को
क्यों? हम किनारों पर सजाते है
ढह जायेगा, बह जायेगा सब
क्या? सहने की शक्ति हम रखते है
गर पास नही वो हिम्मत, वो साहस
फिर क्यों? उम्मीदों पर जिंदगी गुजारते है
सपने बुनने का अधिकार है सभी को
लेकिन लहरों से भिड़ने को तैयार होना होगा
जब बनाया रेत का महल सागर किनारे
तो लहरों से 'ना' डरना होगा
फिर सजाओ जी भर अपना महल
नन्ही उम्मंगों से, अपनी हिम्मतों से|
रेत के महल का आधार रेत मे बनेगा
जिसके शिला मे हो तूफानों का असर मिला
उस महल को खतरों से फिर डर क्या .....