13 अगस्त 2008

सखी






एय सखी


याद आती हो तुम आज भी,


एय सखी


भूली नही तुम्हे मै, आज भी


जरा इतना तो कहो ...


एय सखी


क्या आज भी तुम हो वही?


क्या आज भी तुम बदली नही?


एय सखी


क्या आज भी किसी बात पर


तुम हसती हो बेबाक सी ?


एय सखी


क्या आज भी पसंद है


तुम्हे वो फिल्म, वो गीत और वो खटाई?


एय सखी


क्या आज भी बातें करती हो अक्सर


तुम हमदोनों के यारी, दोस्ती की?


एय सखी


क्या आज भी याद है, सब वो पल


तुम्हे, जब हम घंटों गप्पे लगाती थी?


एय सखी


क्या आज भी इंतजार करती हो


तुम, घटा, बारिश और दिन छुट्टी की?


एय सखी


एक बात और थी तुमसे कहनी


और एक तुमसे सुननी


एय सखी


क्या आज भी मुझे याद करती हो


तुम, वैसे ही जैसे करती थी तब भी?


और एक हलकी सी मुस्कान तैर जाती है


तुम्हारे होठों पर अब भी ......