12 मार्च 2008

आत्मा की सुने


आँसुओ की,
तेरी दुनिया मे कोई कीमत नहीं|
तेरी दुनिया मे रोने की भी,
शिकायत होती है|
गम छुपाना,
बड़ा मुश्किल है, काम
आंखों मे जब नमी भर जाती हैं,
तेरी दुनिया मे लोग कहते हैं,
हँसी मे, आंखें हैं छलक गई|
दुखों के साथ रहना,
अपनी-अपनी मुश्किलों के साथ जीना,
घुटन मे दम अपना घोटते रहना,
तेरी दुनिया मे वाहवाही के लायक,
यह बात है, समझी जाती|
रोते है जो,
दुखों पर उसके लोग हँसते हैं|
लोग वही जो इन्ही दुखों को छुपा कर जीते हैं
तेरी दुनिया मे बाहरी चीख पुकार सुनी और सुनायी जाती है|
भले आत्मा रह जाये, धिक्कारती|
आत्मा की सुने,
या सुने तेरी दुनिया के लोगों की?
अपनी दुखों के साथ हँसते हुए जिए,
या आँसुओ को छुपा कर, खुश होने का भ्रम रखे?
भ्रम यह की, हम है सबसे सुखी
भ्रम यह की, हमें कोई भी दुःख नहीं
शायद तेरी दुनिया के लोगों को पता नहीं,
आत्मा जो है, कहती
सच्चाई वही है, होती
सुख और दुःख को मिलाकर ही
जिंदगी सच के पैमाने पर खरी है उत्तरती|

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

आँसुओ की,
तेरी दुनिया मे कोई कीमत नहीं|
तेरी दुनिया मे रोने की भी,
शिकायत होती है|
गम छुपाना,
बड़ा मुश्किल है, काम
आंखों मे जब नमी भर जाती हैं
bahut sundar baat aur bhav,sahi hai sukh aur dukh ke saath hi jeevan ke sahi paimane hai,awesome.