14 मार्च 2008

बचपन


छप-छप पानी
छप-छप पानी
पानी मे करते, हम नादानी
छप-छप पानी
छप-छप पानी
पानी मे बहती, कागज़ की कश्ती
रिमझिम बारिश
रिमझिम बारिश
बारिश मे करते, हम शैतानी
रिमझिम बारिश
रिमझिम बारिश
बारिश मे भींगते, लेकर छतरी
टीम-टीम तारे
टीम-टीम तारे
तारों के संग, सोते जागते
टीम-टीम तारे
टीम-टीम तारे
तारों के संग होती सौ-सौ बातें
चन्दा मामा
चन्दा मामा
कहते, वहाँ रहती है नानी की परियां
चन्दा मामा
चन्दा मामा
माँ कहती, खालो उनके नाम का एक निवाला
लुकछिप खेलें
लुकछिप खेलें
आंखें बंद कर, सबको देखे
लुकछिप खेलें
लुकछिप खेलें
गिनती गिन-गिन, हम सब भागे
वो पलछिन
वो पलछिन
गुजरे हुए पल, गुजर गए वो दिन
वो पलछिन
वो पलछिन
बिसार दी सब बातें, लेकिन भुला ना पाए बचपन

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

so sweet poem,bachpan phir lauta diya aapne,shukran.gehre bhavon se bhari khubsurat kavitayen likhnewali surabhiji mein ek nanhi pari bhi chupi hai:);)loved reading this.