थोड़ी देर जो तुम ठहरो,
हम भी तुम्हारे साथ चलें|
बेरुखी से तुम ये ना कहना,
दम भर को फुर्सत नहीं|
तन्हाई मे जो तुम जीते हो,
महफ़िल मे भी, तन्हा रहते हो
जो थाम लो, हाथ मेरा
तो हम भी बन जाए तुम्हारे साथी|
तीखे नज़रों से अपने ये ना कहना,
दम भर को हमें फुर्सत नहीं|
कई बार तुम्हें देखा है, अकेले-अकेले
कई बार तुम्हें देखा है, परछाई से बतियाते
सच है, तन्हा रह गए हो तुम भी
जिन्गदी का सफर अभी बहुत है, बाकी
देखो फिर से मुझे तुम ना झूठलाना,
की दम भर को फुर्सत नहीं|
हम भी तुम्हारे साथ चलें|
बेरुखी से तुम ये ना कहना,
दम भर को फुर्सत नहीं|
तन्हाई मे जो तुम जीते हो,
महफ़िल मे भी, तन्हा रहते हो
जो थाम लो, हाथ मेरा
तो हम भी बन जाए तुम्हारे साथी|
तीखे नज़रों से अपने ये ना कहना,
दम भर को हमें फुर्सत नहीं|
कई बार तुम्हें देखा है, अकेले-अकेले
कई बार तुम्हें देखा है, परछाई से बतियाते
सच है, तन्हा रह गए हो तुम भी
जिन्गदी का सफर अभी बहुत है, बाकी
देखो फिर से मुझे तुम ना झूठलाना,
की दम भर को फुर्सत नहीं|
1 टिप्पणी:
bahut sundar
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