
कल फिर सुबह होगी ...
और तुम ,
चल दोगे अपना हाथ छुड़ा कर
मेरे हाथों से .....................
कल फिर सुबह होगी ...
मैं फिर ,
रोकूंगी तुम्हें ,तुम न मानोगे
चल दोगे
मुझे रुला कर
आंखों को मेरी , नम कर .............
सुरभि.... हवा के संग इन कविताओ की सुरभि आपके जीवन को भी सुगंधित कर जाये|
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