06 अक्तूबर 2008

दावत---वाह कंहूँ या हाय कहूँ


दावतों के नाम सुने थे
पकवानों के खूब हुए थे चर्चे
मुँह मे हमारे पानी भर आया
जलेबी, हलवा नाचे आंखों के आगे
उस दिन भी मन खूब तरसा
जिस दिन हुए दावत के दर्शन
हम भी शामिल हुए महफ़िल मे
सज-धज कर, लिए हाथों मे तोहफे
दुल्हन देखि, देखी दावत की तैयारी
चले खूब पटाखे, नाचते-झूमते बाराती आए
धूम-धडाका, बच्चों का शोर
आँख खिचती जाए पकवानों की ओर
नजरों को बांधा, दिल को समझाया
कहा "अपनी बारी का इंतजार तो कर"
सब अपनी हांथों मे प्लेट भर-भर जाए
हम भी मन मसोस कर सोचे
मेजबानों से कोई आकर हमें भी कहे
अरे हुजुर! "आप भी शौक फरमाए"
ग्रह-नछत्र ख़राब थे हमारे
लजीज खाने की खुशबु मन को खिचे
आते-जाते प्लेटों को देख कर
दिल को अपने ठंडा करते
आख़िर वो शुभ मुहूर्त आ ही गया
जब हमारा भी नंबर लग ही गया
हाँथ मे खाली प्लेट लेकर दौड़ पड़े
वेज खाने की पंक्ति मे जा खड़े हुए
तभी कोई हमारे आगे आ उछला
किसी का जोरदार पैर, हमारे नाजुक कदमों पर आया
एक जोर की चींख निकली हमारी
और, हांथों से प्लेट नीचे जा गिरी
अब कुछ और ही नजारा था
पहले नंबर से हम आखरी पर जा पहुचे
अब दिल बहुत तिलमिलाया
हाँथ मल कर हमने सोचा
"चलो धीरे से खिसक जाए
घर जाकर दाल-रोटी खाए"
लेकिन तब भी किस्मत ने ना साथ दिया
निकलते हुए भी हम पकडे गए
मेजबान की नजरों मे जकडे गए
कहा मेजबान ने "कहाँ चलते बने?
अभी तो दावत शुरू हुयी है---
आप भी कुछ चखिए, कुछ मजा लीजिये"
अपने क्रोध को संभालते हुए, हमने
हँसता हुआ चेहरा दिखाया और कहा
"चलिए चलिए---आप तकलीफ ना उठाये,
हम महफ़िल मे अभी शामिल होते है"
बेमन से हमने अपना नंबर फिर लगाया
खाली प्लेट के संग, किस्मत फिर आजमाया
मन मे रहे यही सोचा
वाह वाह रे दावत
तू भी खूब रही
क्या-क्या सपने हमने सजाये
तू ने भी हमें खूब लुभाया
यँहा आकर जब हुए तेरे दर्शन
तब हमने ख़ुद को, "रणभूमि" पर पाया
समझ मे हमें अब तक ना आया
तुझे क्या कह कर पुकारूं
दावत ---तुझे, वाह कहूँ या हाय कहूँ?

5 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत ही सुन्दत दावत रही,
एक सुन्दर व्यंग कविता के लिये धन्यवाद

Unknown ने कहा…

दावत का तो यही हाल है । आपका लिखा हास्य बहुत अच्छा रहा । पढ़कर मजा आगया । उन्दा लेखन ।

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

achchi kavita likhi hai.

http://www.ashokvichar.blogspot.com

बेनामी ने कहा…

menka ji bahut dino baad aapke blog par aana hua,aur aate se jo daavat ke lajiz vyang ka tohfa mila waah,kya khub,haste haste bura haal hai,bahut hi badhiya:):),sadar mehek

मेनका ने कहा…

sabhi ka dhanyabaad.