21 अगस्त 2008

कृष्णा के जाने कितने नाम



नटखट, गोपाल
कृष्णा या मुरलीधर
तुम हो कौन?
यशोदा के नंदन,
या हो कोई माखन चोर|

खूब किया लीला,
तंग भई यशोदा मईया|
गोपियों को सताया,
राधा को नचाया|

गिरधर, कान्हा
लल्ला या किशन
तुम हो कौन?
ब्रिज के तुम बासी,
या हो किसी मीरा के मोहन|

मुख पर अपने माखन लपेटे
जाने किस-किस के मटके तोडे|
बाल सुलभ मुस्कान से,
मोहे कितनों के मन|

श्याम, घनशयाम
केशव या बिहारी
तुम हो कौन?
सुदामा के तुम परम मित्र,
या हो गोवर्धन धारी|

नाम तुम्हारे जाने कितने?
जाने कितने रूप बदले?
चाहे तुम गोपाल,
चाहे तुम नंदलाल,
हमारे तो बस तुम एक प्रभु|
हमारे तो बस तुम एक भगवान|

4 टिप्‍पणियां:

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

wah..wah
kya baat hai..
sunder kavita..

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत खूब। लिखते रहें, पढ़ना अच्छा लगता है।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर,मन भावन कविता, साथ मे भगवान का नाम
धन्यवाद

बेनामी ने कहा…

हमारे तो बस तुम एक प्रभु|
हमारे तो बस तुम एक भगवान
aapko padkar aacha laga...