28 अगस्त 2008

रिश्ते




किसी से दर्द का रिश्ता होता है,
किसी से प्यार का रिश्ता होता है,
फर्क क्या है, दोनों में
क्या है, अन्तर
'रिश्ता' तो होता है|
किसी को याद करते है, जखम जैसे
किसी को याद करते है, दवा जैसे
फर्क है, कुछ तो बोलो
बतलाओ क्या है, अन्तर
याद तो करते है दोनों को ही|
कोई दिल में रहता है, दुश्मन की तरह
कोई दिल में रहता है, दोस्त की तरह
कुछ भी फरक नही इसमे|
ना ही है कोई अन्तर|
दिल में तो रहते है दोनों ही|
याद करते है, सोचते है सबको
एक साँस से.... दूसरी साँस तक
और फिर अन्तिम साँस तक|
तानाबाना बुनते रहते है, रिश्तों के
सभी एक दुसरे के पूरक
इसके बिना वो नही, उसके बिना ये नहीं
सब एक ही माला के मोती
कोई सुंदर, कोई बदसूरत
कोई कठोर, कोई नरम
कोई कड़वा, कोई मधुर
फर्क क्या है? इसमे कुछ
क्या है? कुछ अन्तर
'रिश्ता' तो सबसे है
यादें तो सबसे जुड़ी है,
कुछ भयानक, कुछ सुंदर
इसके बिना वो नहीं, उसके बिना ये नहीं|



http://merekavimitra.blogspot.com/2008/08/rishte-par-kavitayen-kavya-pallavan.html#menka

4 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

मेनका जी आप की कविता बहुत सुन्दर हे,
धन्यवाद

बेनामी ने कहा…

menka ji aapki kavita "rishte" padha. aacha laga.
dhanyabad

विक्रांत बेशर्मा ने कहा…

बहुत ही सुंदर भाव हैं !!!!!!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

'रिश्ता' तो सबसे है
यादें तो सबसे जुड़ी है,
कुछ भयानक, कुछ सुंदर
इसके बिना वो नहीं, उसके बिना ये नहीं|
..............
मेनका जी क्या कहूँ????????
बहुत ही प्रभावशाली रचना है