01 अप्रैल 2008

इंतजार अभी बाकी है.....


कभी आहट आती है
कभी सरसराहट सी होती है
उस दिशा मे मुड़ जाती है
'नजर' जहाँ से आवाजें आती है
लेकिन समझे ना मन ये
इंतजार अभी बाकी है ......
हथेलियों को कानों पर रख कर
बंद करते हुए, पलकों को
ध्यान हटाते है, ' तुमसे' अपना
इस मन को एक ही भटक होती है
लेकिन कौन मन को समझाये
इन्तजार अभी बाकी है ......
समय बीते अपनी रफ़्तार मे
जैसे कोई सन्नाटा सा छा जाए
दिल की धड़कनों मे घुलती जाए
बस घड़ी की टिक-टिक
लेकिन समझाने से मन ना समझे
इंतजार अभी बाकी है .....
बेचैनी बढ़ती जाए
लम्बी साँसों मे वक्त गुजरे
एक ही धुन मन मे रमता जाए
एक ही आहट की आह लेते रहते है
लेकिन समझ पाए मन ये
इंतजार अभी बाकी है.....





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