11 मार्च 2009
भूलभुलैया राहें
भूलभुलैया राहें ये
भूलभुलैया
कभी पास बुलाए अपने
कभी दूर छिट्कादे
हरी भरी हरियाली इसमे
लबलबाते पानी के धारे
पास जाते जो मुरझाये
बन जाए काटें ही काटें
मन जो इससे मोहित होए
फिर हो ऐसे घायल
एक बार जो तीर लगे
घाव न भर पाये
एक बार जो चोट लगे
फिर न भ्रमित होना इससे
देख दूर से मन हर्षाये
पास जाकर चैन न खोवे
भूलभुलैया राहें ये
भूलभुलैया
'जिंदगी की राहों मे
एक राही तू
देख न भटकना राह अपनी
चलना मन को ठान अपनी'
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7 टिप्पणियां:
'जिंदगी की राहों मे
एक राही तू
देख न भटकना राह अपनी
चलना मन को ठान अपनी'
sahi baat,sunder rachana badhai
Menaka ji,
achchee rachna sundar bhavon ke sath.badhai.
Poonam
भूलभुलैया राहें ये
भूलभुलैया
कभी पास बुलाए अपने
कभी दूर छिट्कादे
हरी भरी हरियाली इसमे
लबलबाते पानी के धारे
पास जाते जो मुरझाये
बन जाए काटें ही काटें.......
मेनका जी ,
बहुत सुन्दर भावों को आपने बहुत खूबसूरत शब्दों में बांधा है .बधाई
हेमंत कुमार
देख दूर से मन हर्षाये
पास जाकर चैन न खोवे
भूलभुलैया राहें ये
भूलभुलैया
achcha likha aapne. menka aapse shikayat hai aajkal aap kafi der se nayi post likhti hai .
almighty bless you
with regards
amitabh
नमस्ते!
इस पोस्ट के लिये बहुत आभार....
एक श्वेत श्याम सपना । जिंदगी के भाग दौड़ से बहुत दूर । जीवन के अन्तिम छोर पर । रंगीन का निशान तक नही । उस श्वेत श्याम ने मेरी जिंदगी बदल दी । रंगीन सपने ....अब अच्छे नही लगते । सादगी ही ठीक है ।
आप सबको पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ...
DevPalmistry
achchha prayas hai.
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