29 अक्तूबर 2008

कलम






कलम लिखती है कभी कागज़ पर.... कभी दिल पर......

जब लिख ना पाये अपनी अक्षर तब बोलती है कभी जुबान से.... कभी निगाह से.....

कलम चलती है कभी सोच थम जाती है कभी शब्द अटक जाते है

विचारों का मंथन होता है कभी दिमाग में.... कभी मन में ....

हाथ बार-बार कलम के साथ बढ़ते है, कोरे कागज़ की ओर चलते है, रुक जाते है

चुनकर एक शब्द, फिर चल पड़ते है कलम दौड़ती है कागज़ पर.....

खाली पन्नों को आकार देती है अपनी सोच की छवि का

सजाती है, सवारती है स्याह रंगों से, श्यामल रूप

कलम बोलती है कागज़ पर...

जहाँ गुम हुए कुछ शब्द रगड़ती जाती है, एक ही लकीर को

कभी छेद हुए जो पन्नो पर कुछ सपने वहाँ से बह जाते है...

लेकिन कागज़ के टुकडों पर कलम शब्द जोड़ती है

शसक्त करती अपनी आवाज बोलती अपनी बोली

कलम लिखती है कागज़ पर...दिल पर.....

कभी कुछ अनसुलझे पहलू पर जब कलम सोचती जाती है

फेकतें है, फाड़ कर उन पन्नों को

मुडे-मुडे से, कुचटे हुए से सभी शब्द पन्नों से झांकते है

बड़ी बेबस सी तब कलम नजर आती है

कभी किसी बेबसी की कहानी

कभी किसी दिल की जुबानी लिखने, फिर से चल पड़ती है

कलम...चलती है लिखती है कागज़ पर...दिल पर

10 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढिया.लिखते रहें.

दीपक बरनवाल ने कहा…

kalam ki ek nayee paribhasha
waw!

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

जब लिख ना पाये अपनी अक्षर तब बोलती है कभी जुबान से.... कभी निगाह से.....

कलम चलती है कभी सोच थम जाती है कभी शब्द अटक जाते है

विचारों का मंथन होता है कभी दिमाग में.... कभी मन में ....

हाथ बार-बार कलम के साथ बढ़ते है, कोरे कागज़ की ओर चलते है, रुक जाते है
kyonki ye kalam hai

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कविता, आप को दिपावली की शुभकामान्ये

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

इन पंिक्तयों में आपने बहुत सुंदर भाव को व्यक्त िकया है । बडी प्रभावशाली है आपकी किवता । मैने भी अपने ब्लाग पर एक किवता िलखी है । समय हो तो आप पढें आैर प्रितिकर्या भी दंें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com.

मेनका ने कहा…

aap sabhi ka bahut bahut dhnayabaad.

बेनामी ने कहा…

sach bahut sundar aur sahajta se man ke bhav kalam dwara pratibimbithuye hai,sahi jab akshar na mile kalam jubaan se,nigah se bolti hai.bahut khub

बेनामी ने कहा…

जब लिख ना पाये अपनी अक्षर तब बोलती है कभी जुबान से.... कभी निगाह से.....

Bahut khub aur sunder! I love it.

अमिताभ ने कहा…

कलम लिखती है कभी कागज़ पर.... कभी दिल पर......

very very nice post !
"khuda ye kalam kabhi aasman par bhi likhe
kyon asman hi barse ,kabhi zami bhi aasman par barse !!

aapki abhivykti dil me utar aayi

bahut badhiya

with regards
amitabh

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

Menaka,
Apne bahut sundar shabdon men apnee bhavnaon ko abhivyakti dee ha.Asha kartee hoon age bhee aise hee likhtee rahengee.Ap mere blog par bhee kabhee visit kariye.
Meree shubhkamnaen.
poonam