20 मार्च 2008

आओ मिलकर खेलें होली


आओ, मिलकर खेलें होली
उमंग, तरंग के संग
राग, रंग और प्यार की होली
पिचकारियों से निकलती,
सर-सर-सर, बहार की रंगोली
आओ, मिलकर खेलें होली|

फागुन से सराबोर होकर,
रंगों से तैयार होकर
घूमें आज, टोली-टोली
कभी नीली, कभी पीली
भर कर अपने रंगों की झोली
आओ, मिलकर खेलें होली|

मन झूमें, तन झूमें
मिलाकर, अपनी ताल से ताल
'फगुआ' मे करें सब धमाल
उडाते चलें, हर रंग के गुलाल
हाथों मे लेकर झाल और ढोलकी
आओ, मिलकर खेलें होली|

आये, बरस मे एक ही बार
भुला दे सब, चाहे हो गम हजार
गले मिलें सब, खुशी का है अवसर
मिलकर करें सब, 'फागुन' का स्वागत
लो आ गयी, रंगों की डोली
आओ, मिलकर खेलें होली|

2 टिप्‍पणियां:

अनूप शुक्ल ने कहा…

सुन्दर है। होली मुबारक!

बेनामी ने कहा…

फागुन से सराबोर होकर,
रंगों से तैयार होकर
घूमें आज, टोली-टोली
कभी नीली, कभी पीली
भर कर अपने रंगों की झोली
आओ, मिलकर खेलें होली|
bahut sundar,holi ki masti ki baat,holi ki badhai aapko bhi.