25 जनवरी 2008

माँ


ओह माँ
तेरी ममता कि सी छाँव
कही नहीं है
जांहा आकर हर दुःख
दूर हो जाये
हर आंसू बिलुप्त हो जाये
ऐसी वो धार और
कही नहीं है
जो तू फेर दे प्यार भरा वो हाँथ
फिर से मेरे माथे पर
दूर हो जाये मेरी हर थकन
ओह ...ऐसा आराम और
कही नहीं है
ओह माँ
तेरी ममता कि सी छाँव
कही नही है

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