19 जनवरी 2010

आजमा कर तो देखो दोस्तों


विश्वाश की डोर को थामे रहना
देखना एक दिन, भोर हो ही जायेगी
बड़ी ताकत है इस डोर मे
तुम्हें हर मुश्किल से खीच लाएगी|

निश्चय जो हो संकल्प
उस दृढ़ता की पतवार को खेवते रहना
मुश्किल से मुश्किल धार को झेल कर
जीवन की नैया किनारे लग जायेगी|

चलते रहना , उस राह पर जो तुमने है चुनी
लांघ कर सभी पहाड़ -पर्वत , जो राह तुम्हारी रोके
देते हुए हर एक कठिनाई को चुनौती
राहे -राहों से मिलते मिलाते , मंजिल तक पहुँच जाएँगी|

बहुत आसन है इन बातों पर अमल करना
एक बार आजमा कर तो देखो दोस्तों
बस मुस्कुराने की आदत सी डाल लो
गम के साए भी तुम्हें छू न पायेंगे|

5 टिप्‍पणियां:

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

आप कहती हैं तो मुस्‍कराने की आदत डाल ही लेते हैं, फिर देखें गम आते हैं या नहीं। अच्‍छी रचना, बधाई।

दीवान-ए-आम ने कहा…

वाह मेनका जी,
विश्वास सबसे बड़ी चीज़ होती है. पाजिटिव सोच की एक अच्छी कविता के लिए.
बहुत-बहुत शुक्रिया.
शशिकांत

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

मेनका जी,
बहुत ही अच्छी सकारात्मक सोच वाली कविता है आपकी----और यह जान कर भी अच्छा लगा कि आप वापस भारत आ गयी हैं।
पूनम

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत आसन है इन बातों पर अमल करना
एक बार आजमा कर तो देखो दोस्तों
बस मुस्कुराने की आदत सी डाल लो
गम के साए भी तुम्हें छू न पायेंगे|
बहुत ही सुन्दर और भावनात्मक कविता---हार्दिक शुभकामनायें। पूनम

Apanatva ने कहा…

bahut sunder soch aur accha sandesh detee hai ye rachana.......
aapkee kavita bahut acchee lagee.........