24 जून 2008

मेरी माँ


मेरी माँ
तुम्हे कभी मै, भूलती नही माँ
जब याद करती हूँ तुम्हे,
जान जाती हो तुम कैसे?
उदास हूँ मै, माँ..
जाती हो कहीं से,
मेरी ही खाबों-ख्यालों मे
और कहती हो..तेरे साथ मै हूँ ना|
जब कभी ये सोचती हूँ, मै
बैठी होगी तुम, उसी कोने मे
करती.. मेरा इन्तजार
आँखें मेरी, बरबस ही भर जाती है
बतलाओ... तब मै क्या करूँ माँ?
जब देखती हूँ,
इन आंखों से तुम्हारी छवि,
तो मुस्कान खिल उठती है चुपके से,
हौसला तुम्हारा देख कर
मन को चैन मिलता है ..स्वर्ग सा|
आज भी रखती हो तुम, मेरा ख्याल
माँगा करती हो, भगवान् से
सब कुछ हमारे लिए...
अपनी झोली फैला|
निस्वार्थ प्यार की तुम, मिसाल
तुम मेरी माँ|
हर जनम, जनम लूँ
तेरी ममता की छाव मे,
माँगा करूँ सदा, मै ...माँ