15 फ़रवरी 2008

दुनिया बनाने वाले


एक गीत सुना था बचपन मे ,
"दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन मे समायी
तुने काहें को दुनिया बनायी"
बोल कुछ अजीब से लगते थे |
सोचती थी ,ये भी कोई गीत है ?
मेरी दुनिया तो ,कितनी निराली है
जिसमे माँ-बाबूजी हैं
भईया ,दीदी हैं
दोस्त हैं ,और मेरी गुड़िया है
गुड़िया भी मुझसे बातें करती थी |
इसी दुनिया मे मैं खुश रहती थी |
बचपन छोड़ जब आगे बढ़े ,
तब भी उस गीत के बोल कानों मे पड़े ,
संग-संग मैं भी कुछ गुनगुनाने लगी |
जिंदगी की हर मोड़ पर ,
गीत के बोल यथार्थ लगने लगे |
इस भरी दुनिया में
इंसान भी बातें करता था |
मतलब के सब दोस्त साथी बने ,
जरुरत के लिए हर बन्धन बना |
आज भी उस गीत के बोल हम गुनगुनाते है ,
हर बोल के साथ सोचते है ......
कितने सही है ये शब्द ,
कितनी सच्चाई है ,इसके अर्थ में
"दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन मे समायी
तुने काहें को दुनिया बनायी"

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