12 फ़रवरी 2008

खिचड़ी पक रही है .......


शहर कि एक दोपहरी ऐसी ................

महिलाओं की गोष्ठी में ,
जाने क्या खिचड़ी पक रही थी |
खिड़की से अन्दर आती धूप ,
सर्दी मे ऐसा सुहाना रूप
व्यस्त हैं , सभी जन
कोई ऑफिस , कोई ट्रेन , तो कोई -मेल
लड़की के हाथ में गाड़ी कि चाबी ,
कान पर उसके मोबाइल लटक रही थी ,
सबसे जुदा , महिलाओं कि सम्मेलनी
कोई सास कि , तो कोई बहु की ओम्लेट बना रही थी |
लड़का अपने चार यार दोस्तों के साथ ,
सिगरेट के छ्लों में ,धुआं उड़ाते हाँथो में हाथ
बच्चा भरी दोपहरी में ,खेल रहा सड़क पर
होम-वर्क के लोड से निगाह चुरा कर ,
लेकिन ,महिलाओं कि किट्टी-पार्टी अभी भी जारी है |
कोई सुन रही है , तो कोई सुना रही है ....................
कोई स्वेटर कि सलाईन्या चला रही है ,
और ,कोई खिचड़ी पका रही है ..................

1 टिप्पणी:

Keerti Vaidya ने कहा…

really good one....bachpan mein mom ke saath dhoop senkti aur mahilao ke pakti kheechdi dekhti..