15 जुलाई 2008

अगर ऐसा भी होता.....तो....कैसा होता.....


अगर ऐसा भी होता तो ...
कैसा होता...

बादल की डालियों पर
हवा के पालने पर ...
झूल पाते हम...तो
कैसा होता....
सूरज की किरणों को थाम
पहुँच पाते आकाश तक
छू लेते बस जरा सा...तो
कैसा होता....

अगर ऐसा भी होता तो ...
कैसा होता ....

इन्द्रधनुष के सातों रंग
उनसे भर कर अपनी कलम
बना पाते कोई चित्रपट ....तो
कैसा होता....
टिमटिमाते तारों से
लेकर उनकी रौशनी
जगमगा पाते राह अपनी ...तो
कैसा होता......

अगर ऐसा भी होता ...तो
कैसा होता.....

चँद्रमा की प्रतिबिम्ब से
भर कर अपनी अंजुली
जल उठते सारे दीये ....तो
कैसा होता.....
भोर की लालिमा संग
पंछियों के गुंजन, हर छन
बजाते मृदंग और सितार ...तो
कैसा होता......

ख्वाव तो कई है, आंखों मे
अगर सच बन जाते सभी .... तो
कैसा होता.....
अगर ऐसा भी होता ...तो
कैसा होता ......

7 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

इन्द्रधनुष के सातों रंग
उनसे भर कर अपनी कलम
बना पाते कोई चित्रपट ....तो
कैसा होता.......

मुझे तो ऐसा लगता है मानो इन्द्रधनुष के सातों रंग आपने अपनी इस कविता को रंग दिया है.बहुत सुन्दर.

ilesh ने कहा…

ख्वाव तो कई है, आंखों मे
अगर सच बन जाते सभी .... तो
कैसा होता.....
अगर ऐसा भी होता ...तो
कैसा होता .

wah ji wah bahot hu achhe khwab he...agar khwab dekhenge hi nahi to sach kaise honge....khwab dekhenge to use sach karneka hosla bhi to badhega......

simple aur suhani panktiya....

बेनामी ने कहा…

nazariyaa badle jaisa aap chah rahi hai kavitaa ki panktiyon me

aisa kuchh kuchh hone laga hai

































































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rajesh

kabira ने कहा…

sundar rachna like to read more

Pramod Kumar Kush 'tanha' ने कहा…

इन्द्रधनुष के सातों रंग
उनसे भर कर अपनी कलम
बना पाते कोई चित्रपट ....तो
कैसा होता

bahut sunder..bahut hi sunder rachna hai...aapko badhaayee !!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahut sundar wo indredhanush hota,
kitna sundar sapna hai,main aise hi sapne sanjoti hun.......

Asha Joglekar ने कहा…

Bahut sunder . sabke man ke bhaw shabdon me utarkar rakh diye aapne.