tag:blogger.com,1999:blog-7120360929457095788.post2298233550373203705..comments2023-04-29T03:13:29.939-07:00Comments on सुरभि: क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?मेनकाhttp://www.blogger.com/profile/17306694608506811747noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7120360929457095788.post-19294095336563008572008-08-20T09:34:00.000-07:002008-08-20T09:34:00.000-07:00क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?खूब करे विनय निवेदन, म...क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?<BR/>खूब करे विनय निवेदन, मांगे मन भर मन्नते<BR/>जीवित प्राणी की कोई पूछ नही,<BR/>पत्थरों को खूब पूजे.<BR/>यदि मनुष्य अपना अहं त्यागकर इन्सान की पूछपरख करें तो उसे पत्थरों को पूजने की आवश्यकता नहीं पड़ती । लेकिन वह जीते जागते भगवान के महत्व को नहीं समझता । हम सभी यही करते है इसलिए तो ज्ञान की बातें करते है किन्तु उस पर अमल नहीं करते ।<BR/> -.कृष्णशंकर सोनानेकृष्णशंकर सोनानेhttps://www.blogger.com/profile/12525280484162361077noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7120360929457095788.post-57951258945712700012008-08-20T09:33:00.000-07:002008-08-20T09:33:00.000-07:00क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?खूब करे विनय निवेदन, म...क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?<BR/>खूब करे विनय निवेदन, मांगे मन भर मन्नते<BR/>जीवित प्राणी की कोई पूछ नही,<BR/>पत्थरों को खूब पूजे.<BR/>यदि मनुष्य अपना अहं त्यागकर इन्सान की पूछपरख करें तो उसे पत्थरों को पूजने की आवश्यकता नहीं पड़ती । लेकिन वह जीते जागते भगवान के महत्व को नहीं समझता । हम सभी यही करते है इसलिए तो ज्ञान की बातें करते है किन्तु उस पर अमल नहीं करते ।<BR/> -.कृष्णशंकर सोनानेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7120360929457095788.post-82831444498457413942008-08-20T09:32:00.000-07:002008-08-20T09:32:00.000-07:00क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?खूब करे विनय निवेदन, म...क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?<BR/>खूब करे विनय निवेदन, मांगे मन भर मन्नते<BR/>जीवित प्राणी की कोई पूछ नही,<BR/>पत्थरों को खूब पूजे.<BR/>यदि मनुष्य अपना अहं त्यागकर इन्सान की पूछपरख करें तो उसे पत्थरों को पूजने की आवश्यकता नहीं पड़ती । लेकिन वह जीते जागते भगवान के महत्व को नहीं समझता । हम सभी यही करते है इसलिए तो ज्ञान की बातें करते है किन्तु उस पर अमल नहीं करते ।<BR/> -.कृष्णशंकर सोनानेकृष्णशंकर सोनानेhttps://www.blogger.com/profile/12525280484162361077noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7120360929457095788.post-53488021547938075782008-08-20T09:27:00.000-07:002008-08-20T09:27:00.000-07:00क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?खूब करे विनय निवेदन, म...क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?<BR/>खूब करे विनय निवेदन, मांगे मन भर मन्नते<BR/>जीवित प्राणी की कोई पूछ नही,<BR/>पत्थरों को खूब पूजे <BR/>यदि मनुष्य अपना अहं त्यागकर इन्सान की पूछपरख करें तो उसे पत्थरों को पूजने की आवश्यकता नहीं पड़ती । लेकिन वह जीते जागते भगवान के महत्व को नहीं समझता । हम सभी यही करते है इसलिए तो ज्ञान की बातें करते है किन्तु उस पर अमल नहीं करते ।<BR/> -.कृष्णशंकर सोनाने<BR/>visit:-<BR/>www.krishnshanker.blogspot.comकृष्णशंकर सोनानेhttps://www.blogger.com/profile/14761146352120054283noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7120360929457095788.post-43698541427014187462008-08-07T01:16:00.000-07:002008-08-07T01:16:00.000-07:00क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?धन-दौलत की चाह मे, उनत...क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?<BR/>धन-दौलत की चाह मे, उनत्ति की सीढियां चढ़े<BR/>मित्र ना बंधू, पास कोई .......<BR/>bahut achhi sachchaai liyeरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7120360929457095788.post-71968995971453766182008-08-07T00:59:00.000-07:002008-08-07T00:59:00.000-07:00क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?क्यों रे मन तू ना समझे...क्यों आठ पहर की चिंता तुझको?<BR/>क्यों रे मन तू ना समझे?<BR/>बहुत ही सुन्दर ओर शिक्षा से भरपुर हे आप की यह कविता धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com